अनमोल सुक्ति भाग-2

जसे तुम्हारा हृदय महान समझे वह महान है। आत्मा का निर्णय सदा ही ही होता है।
-इमर्सन
महत्वाकांक्षा वह पाप है जिसने देवदूतों को भी पतित कर दिया।
-शेक्सपियर
मनुष्य को अपने व्यक्तित्व में पूर्ण विकास करने की क्षमता होनी चाहिए। उसे बहारी सहायता की आवश्यकता नहीं।
-जयशंकर प्रसाद



रुचि भावनाओं का र्दपण ह।ै
-भृतहरि
वंश का अंश लेकर जो आगे बढ़ता है वह निकृष्ट है। अपने अंश से वंश का नाम उजागर करने वाला श्रेष्ठ है।
-चाणक्य
रूप के लोभी नरक भोगते है।
-वशिष्ठ
इच्छा के ऊपर उठने से इच्छा त्याग देने से इच्छा की पूर्ति होती है।
-स्वामी रामतीर्थ
जिस क्षण तुम इच्छा से ऊपर उठते हो, उसी क्षण इच्छा ही वस्तु तुम्हें खोजने लगती है।
-अज्ञात
बुद्धि द्वारा सधा हुआ उत्साह ही लगन है।
-पास्कल
रूप काल के साथ-साथ रंगत बदलता है।
-चार्वाक
लक्ष्मी कभी एक स्थान पर टिक कर नहीं रहती।
-सुभाषित
लक्ष्यहीन मनुष्य रोते-रोते कूच कर जाते है।
-अष्टावक्र
लगातार परिश्रम ही सफलता की कुंजी है।
-स्वेट मार्डन
लाचारी का लाभ कौन नहीं उठता।
-गांगेय

लोभी पूर्ण संसार पाने पर भी भूखा रहता है, किंतु संतोषी एक रोटी से से अपना पेट भर लेता है।
-शेख आदी
अत समय में में दीप की लौ तेज हो जाती है।
-सुभाषित
मानव जीवन मंे लगन सबसे महत्व की वस्तु है। जिसमें लगन है, वह बूढ़ा भी जवान है, जिसमें लगन नहीं वह जवान भी मृतक है
-प्रेमचंद
जिस क्षण तुम इच्छा से ऊपर उठते हो, उसी क्षण इच्छा की वस्तु तुम्हें खोजने लगती है।
गहरे जल से भरी हुई नदिया समुद्र मे मिल जाती है, परंतु जैसे उनके जल से समुद्र तृप्त नहीं होता, उसी प्रकार चाहे जितना धन प्राप्त हो जाए पर लोभी तृप्त नहीं होता।
-महाभारत
लोभ से बुद्धि नष्ट होती है, बुद्धि नष्ट होनेसे लज्जा, लज्जा नष्ट होने से धर्म तथा धर्म नष्ट होन से धन ओर सुख नष्ट हो जाता है।
-स्वामी विवेकानंद
लोभ की पूर्ति कभी होती इस लिए लोभ के साथ क्षेम सदा रहता है।
-समर्थगुरु रामदास

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