सफलता के लिए परिश्रम के साथ प्रयास करें

सफलता प्राप्त करने के लिए मात्र सोचने ही काम नहीं चल जाता, इसके लिए परिश्रम के साथ प्रयास करना सर्वाधिक आवश्यक होता है। सफलता के लिए कार्य का उपयुक्त परिणाम अति आवश्यक होता है। आपका परिश्रम के साथ किया गया प्रयास उपयुक्त परिणाम उपलब्ध कराएगा। परिश्रम के साथ प्रयास न करने की स्थिति में प्रतिकूल परिणाम ही प्राप्त होंगे। परिश्रम के साथ किया गया प्रयास ही उपयुक्त परिणाम में परिवर्तित होगा। कार्य का परिणाम किसी और के हाथ में नहीं स्वयं आपके हाथ में है, आप जितने परिश्रम के साथ प्रयास करेंगे वैसा ही परिणाम प्राप्त होगा। चाय में जितनी चीनी डालोगे उतनी ही चाय मीठी बनेगी। परिश्रम रूपी चीनी के न डालने पर परिणाम रूपी मिठास किसी स्थिति में प्राप्त नहीं हो सकती है। उदाहरण के लिए किसी छात्र को परीक्षा में श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त करना है तो उसे परिश्रम के साथ प्रयास कर करना होगा।


खाली बैठकर गप्पे हांकने या सोचने मात्र से ही इच्छाओं की पूर्ति नहीं होती। इच्छाओं की पूर्ति के लिए परिश्रम करना पड़ता है। गप्पे हांकने से तो बस समय की बर्बादी ही होती है। यह सदैव ध्यान रखों कि समय अनमोल है, गया समय कभी आपस नहीं आता। समय निकल जाने के पश्चात तो पश्चतावा ही रह जाता कि काश उस समय में ऐसा कर लेता तो आज कुछ और ही होता। खाली बैठ कर समय बर्बाद करके आखिर क्या मिलेगा? क्या खाली बैठकर समय बर्बाद करने से इच्छित परिणाम प्राप्त किए जा सकते है? नहीं कदापि नहीं? इच्छित परिणाम प्राप्त करने के लिए तो परिश्रम ही सबसे श्रेष्ठ रास्ता है। 
परीक्षा के समय में बहुत से छात्र अक्सर खेल-कूद या खाली बैठकर गप्पे हांकने में समय बर्बाद करते। वे समय के महत्व को नहीं समझते। क्या इस स्थिति मे वे अच्छा परिणाम प्राप्त कर सकते है? इसके विपरीत जो छात्र मन लगाकर परिश्रम से परीक्षा की तैयारी करते है। उनका परिणाम अच्छा रहता है। परिणाम के समय उनके चेहरे पर उभरने वाली खुशी उनके परिश्रम की ही गवाही देती है। 
यह तो सर्वविदित है कि चिंता करने से किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है। समस्या स्वयं आप समाधान लेकर आती है। समस्या से घबराने की अपेक्षा उसका समाधान खोजने का प्रयास करें। मात्र चिंता करने से ही समस्या नहीं समाप्त हो जाएगी। चिंता तो उस समस्या को तीव्रता को और अधिक बढ़ा देगी। मन को शक्ति को क्षीण कर देगी। नकारात्मक सोचने के लिए मजबूर कर देगी। इस स्थिति में प्रयास की संजीवी चिंता की मूच्छा को तोड़ सकती है। मात्र लक्ष्य निर्धारित करने तथा इच्छा करने से ही लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता है, इसके लिए सबसे परिश्रम के साथ प्रयास करना होगा।
परिश्रमी व्यक्ति किसी भी लड़ाई में हार नहीं सकता। वह अपने परिश्रम से हर बाधाओं को तोड़ने का दम रखता है। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सर्वाधिक आवश्यक है कि आप परिश्रम से कभी न घबराएं। परिश्रम का दामन कभी न छोड़ें। निरंतर परिश्रम के साथ संघर्ष करते रहे। आपका परिश्रम ही आपकी पहचान बनेगा।
वास्तुकार के भवन निर्माण का प्रारूप तब तक बेकार है, जब तक परिश्रम करके उसके एक भवन का रूप न दे दिया जाए। कोई भी अच्छी सोच या महान विचार ;ळतमंज प्कमंद्ध परिश्रम के अभाव में पूर्णता व्यर्थ है। परिश्रम ही आपकी सोच या विचार को मूर्त रूप प्रदान करेगा। शाहजहाँ की एक सोच थी अपनी बेगम मुमजात महल के लिए सर्वश्रेष्ठ मकबरा बनवाने की। सोचो यह सोच क्या उन करीगरो के परिश्रम के बिना सफल हो पाती जिन्होंने बीस वर्षों के अथक प्रयास के पश्चात इसे मूर्त रूप दिया। हालांकि सोच या विचार शाहजहां का था, पर परिश्रम करीगरो का। उस परिश्रम के बल पर ही आज ताजमहल दुनिया का अजूबा बन सकता है। यहाँ पहले शाहजहाँ के मस्तिष्क में सोच या विचार उत्पन्न हुआ, फिर करीगरो के परिश्रम एवं प्रयास ही ताजमहल के परिणाम के रूप में उत्पन्न हुआ।
परिश्रम के साथ प्रयास न करने की स्थिति में अच्छी खासी योजनाएं धरी की धरी रह जाती है। परिश्रम के साथ प्रयास करने पर ही योजना को अमल में लाया जा सकता है।
कोई व्यक्ति तब तक महान नहीं बन सकता जब वह परिश्रम के महत्व को न समझ ले। आपने चित्रकला-प्रदर्शनियों में सुंदर-सुंदर चित्रकारियां देखी होंगी। अपने जाने का प्रयास किया यह इतनी सुंदर कैसे बनी? आखिर कैसे चित्रकार ने उन चित्रों को सजीव रूप दिया। इन प्रश्नों का सीधा-सा उत्तर है इसमें चित्रकार द्वारा किया गया परिश्रम। चित्र बनाते समय वह समूचि दुनिया को भूलकर उस चित्र में खो जाता है। पूरी निष्ठा के साथ अपने कार्य को अंजाम देता है। परिश्रम के साथ किया गया उसका प्रयास ही, उसके ब्रुश तथा रंगों की आवाज बनता है। चित्रकार के परिश्रम से मूक और बेजान रंग में भी बोलने के लिए विवश हो जाते है। वे चीख-चीख उस चित्रकार के परिश्रम की प्रशंसा करते है। साथ ही आपको जीवन के सफेद केंवस को सफलता के रंगों से सराबोर करने के लिए निरंतर प्रेरित करते है कि परिश्रम के साथ प्रयास करो, देखना आपका जीवन भी रंगीन बनेगा। आपके सपने भी सफलता के जीते जागते चित्र बन जाएंगे।
कोई भी महान कवि या लेखक, संगीतकार, गीतकार, खिलाड़ी यूं नहीं बन जाता है। इसके लिए वह निरंतर प्रयास करता है। हिंदी साहित्य की आत्मा माने जाने वाले श्रेष्ठ उपन्यासकार मुंशी ऐसे ही इतने बड़े उपन्यासकार नहीं बन गए। इसके लिए उन्होंने परिश्रम के साथ प्रयास किया। उनके विषय में कहा जाता है, वह लिखते समय कागजो का ढेर लगा लिया करते थे। वह अपने लेखन में खो जाते थे। प्लेटों के विषय में कहा जाता है कि उन्होंने अपनी पुस्तक ‘रिपब्लिक’ की पहली पंक्ति को नौ प्रकार से लिखा था, तब कहीं जाकर उस वाक्य को अंतिम रूप दिया।
किसानों के परिश्रम से ही मिट्टी से अन्न उगाता है, जिससे मानव जाति का पेट भारता है। मूर्तिकार का परिश्रम ही मिट्टी को मूर्ति में परिवर्तित करके उसे अनमोल बना देता है। स्वर्णकार के परिश्रम के साथ किए गए प्रयास से आभूषण गढ़े जाते है। बया अपने परिश्रम से छोटे-छोटे तिनके जोड़कर एक सुंदर घोंसले का निर्माण करती है।
परिश्रम के महत्व को उस चीटी से सीखा जा सकता है, जो अपने से भारी चीनी के दाने को खींचने में स्वयं को बिल्कुल भी कमतर नहीं समझती। चीटी के उस प्रयास से यही सीख मिलती है, कि लक्ष्य कोई भी असंभव नहीं होता, असंभव तो बस प्रयास करना होता है। प्रयास करोगे तो लक्ष्य को अवश्य ही लक्ष्य को भेद पाओगे।
हिंदू-धर्म की मान्यता के अनुसार मनुष्य का जन्म 84 लाख यौनियों के पश्चात प्राप्त होता है। 84 लाख योनियों के बीच जीवन-मरण के चक्र से गुजरने के पश्चात आपको मानव देह प्राप्त हुई। यहाँ 84 लाख योनियों का अर्थ यही हो सकता है कि मनुष्य देह काफी सौभाग्य से प्राप्त हुई है। इस सौभाग्य को आप खाली मत जाने दो। आप निरंतर ऐसा करने का प्रयास करे जिससे आपका जीवन सार्थक बन जाए। जीवन को सार्थक बनाने के उद्देश्य से लक्ष्य प्राप्ति के लिए आपको परिश्रम के साथ प्रयास करना ही होगा। आपने ऐसा नहीं किया तो फिर आपको 84 लाख योनियों की प्रतिक्षा करनी पड़ेगी। किसी कवि ने खुब कहा है
बचपन खेल में खोया, 
जावनी नींद भर सोया,
बुढ़ापा देखकर रोया,
अर्थात बहुत से लोगों की बालावस्था लड़कपन में खो जाती है। वे पढ़ाई के स्थान पर खेल-कूद तथा शैतानी में अपना समय व्यतीत कर देते हैं। युवास्था में सोने खाने-पीने, सोने में अपने जीवन का बहुमूल्य समय बर्बाद कर देता हैं। उसके पश्चात उन्हें बुढ़ापे में पश्चाताप होता है कि उन्होंने कुछ नहीं किया। ऐसा पश्चाताप आपको न हो, इस हेतु आप परिश्रम करो। प्रयास करो, अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की हरसंभव कोशिश करो जिससे आपको वृद्धावस्था में अफसोस न करना पड़े की आपने कुछ नहीं किया।
परिश्रम से कभी मत घबराओ परिश्रम को अपनी चारित्रिक विशेषता बनाओं। परिश्रम करने से आपके शरीर में कुछ कम नहीं हो जाएगा। बल्कि परिश्रम तो आपके शरीर में ऊर्जा एवं स्फूर्ति का संचार करता है। सोचने से ही आप दृढ़ निश्चियी नहीं बन सकते है। इसके लिए आपको परिश्रम के साथ प्रयास करना होगा। अपने लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हो, इच्छाओं की पूर्ति करना चाहता हो तो परिश्रमी बनो। कार्य को टालने वाली आदत को छोड़ कर कार्य को पूरा करने की आदत डाला। कोशिश करो आज का कार्य आज की पूरा किया जाए। उसे कल पर पर बिल्कुल मत डालो। 
टालने की आदत आपको नकारा बना देती है, छोटे से समय ही खत्म होने वाले कार्य को लंबे से तक टालने वाले व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकते। कार्य को टालने की आदत को छोड़े कार्य को शीघ्र से शीघ्र पूरा करने की आदत डालो। इससे आपकी कार्य क्षमता बढ़ेगी तथा आप जिस संस्थान के साथ जुड़े हैं उसकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी। प्रत्येक कार्य को एक मिशन के रूप में लेकर उसे मन के साथ पूरा करें। कार्य के बीच में बार कहने पर की कार्य लंबा और कठिन है, इससे आपके मास्तिष्क में नकारात्मक विचारों का आगमन होगा। इस स्थिति में सरल कार्य भी आपके लिए कठिन और लंबा साबित होगा।
कार्य को बोझ के स्थान पर अपना सौभाग्य समझें। स्वयं से कहें की कार्य बड़े सौभाग्य से आपको प्राप्त हुआ है। इस दृष्टि से आप इसे पूरा करके ही दम लेंगे। इस प्रकार के विचार आप में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करेंगे और कार्य की कठिनता आपके लिए सुगमता में बदल जाएगी।
बिना परिश्रम के प्रतिभाशाली होने के बावजूद भी आपकी प्रतिभा किसी काम की नहीं। इसके विपरीत यदि आप प्रतिभाशाली नहीं तो भी आप अपने परिश्रम से स्वयं को प्रतिभाशाली बना सकते है। प्रतिभा का विकास आपके परिश्रम एवं प्रयासों से होगा। एकलव्य को गुरु द्रोणाचार्य ने शिक्षा देने से मना कर दिया। उसने हिम्मत नहीं हारी, उसने उनकी मूर्ति बनाकर धनुर्विद्या प्राप्त करने के लिए परिश्रम के साथ प्रयास किया। और एक दिन वह अर्जुन के समान धनुर्धर बन गया।
यह सोचना सबसे बड़ी मूर्खता है कि सफलता आपको स्वतः ही प्राप्त हो जाएगी। यह आपकी सबसे बड़ी भूल है। महान बनने के लिए महान परिश्रम करना ही पड़ेगा। कोई भी महान व्यक्ति रातों-रात महान नहीं हो गया। इसके लिए उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया, तब जाकर उन्हें सफलता प्राप्त हुई। सही अर्थों में परिश्रम के साथ किया गया प्रयास ही सफलता का उद्घोषक है।

No comments:

Post a Comment

स्वयं पोर्टल से घर बैठें करें निःशुल्क कोर्सेज

इंटरनेट के इस दौर में पारंपरिक शिक्षा अर्थात स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी से हायर एजुकेशनल डिग्रीज हासिल करने के अलावा भी विद्यार्थी विभिन्...